💔ज़माना सो गया और मैं जागा रात भर तन्हा,
तुम्हारे गम से दिल रोता रहा रात भर तन्हा,
तुम्हारे गम से दिल रोता रहा रात भर तन्हा,
मेरे हमदम तेरे आने की आहट अब नहीं मिलती,
मगर नस नस में तू गूंजती रही रात भर तन्हा,
मगर नस नस में तू गूंजती रही रात भर तन्हा,
नहीं आया था कयामत का पहर फिर ये हुआ,
इंतजारों में ही मै मरता रहा रात भर तन्हा,
इंतजारों में ही मै मरता रहा रात भर तन्हा,
अपनी सूरत पे लगता रहा मै इश्तेहार ए जख्म,
जिसको पड़ के चाँद जलता रहा रात भर तन्हा।💔
जिसको पड़ के चाँद जलता रहा रात भर तन्हा।💔
0 Comments