जिसे चाहा वो हासिल नहीं, Sikhwa, Sikayat, Shayari

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जिसे चाहा वो हासिल नहीं, Sikhwa, Sikayat, Shayari

💔 अब ना कोई शिकवा ना कोई गिला ना कोई मलाल रहा,
सितम तेरे भी बे-हिसाब रहे सबर मेरा भी कमाल रहा,
हम वही हैं,बस ज़रा ठिकाना बदल लिया है,
तेरे दिल से निकलकर अब ख़ुद में रहते हैं,
शिकायत खुद से भी है….और….खुदा से भी है,
जो मिला वो मुझे मंजुर नहीं… जिसे चाहा वो हासिल नहीं .💔


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